९२६ |
नंदनवनीच्या कोकीळा बोलती गोड |
-------- राणी माझा तळहाताचा फोड |
९२७ |
नंदनवनात अम्रुताचे कलश |
-------- आहे माझी खुप सालस |
९२८ |
देवाला भक्त करतो मनोभावे वंदन |
-------- मुळे झाले संसाराचे नंदन |
९२९ |
भाजीत भाजी मेथीची |
-------- माझी प्रीतीची |
९३० |
दही चक्का तुप |
-------- आवडते मला खुप |
९३१ |
हिरवळीवर चरती सुवर्ण हरिणी |
-------- झाली आता माझी सहचारिणी |
९३२ |
आंथरली सतरंजी त्यावर पांघरली शाल |
--------रावांच्या जीवनात -------- राहील
खुशाल |
९३३ |
आंब्याच्या झाडावर बसुन कोकीळा करी कुंजन |
माझ्या नावाचे -------- करी पुजन |
९३४ |
श्रीक्रुष्णाने केला पण क्रुष्णालाच वरीन |
-------- च्या सोबर आदर्श संसार करीन |
९३५ |
चाकणच्या किल्ल्यावर ठेवल्या फौजा |
-------- रावांच्या जिवावर -------- मारते
मौजा |
९३६ |
सोन्याची सुंपली मोत्यांनी गुंफली |
-------- राणी माझी घरकामात गुंतली |
९३७ |
रुप्याचे ताट त्यावर सोन्याचे ठसे |
-------- ला पाहुन चंद्र सुर्य हसे |
९३८ |
पाण्याने भरला कलश त्यावर आंब्याची पाने
फुले |
-------- चं नाव घेतल्यावर चेहरा माझा
खुले |
९३९ |
ह्रदयात दिले स्थान तेव्हा दिला हातात हात |
-------- च्या जीवनात लाविली मी प्रितीची
फुलवात |
९४० |
मातीच्या चुली घालतात घरोघर |
-------- झालीस माझी आता चल बरोबर |
९४१ |
सुर्याने दिली साडी चोळी आणि गोफ |
-------- रावांच्या मांडीवर -------- घेते
झॊप |
९४२ |
सर्वऋतुत ऋतु आहे वसंत |
-------- केली मी पत्नी म्हणुन पसंत |
९४३ |
इंग्रजी भाषेला महत्व आले फार |
-------- ने लावला माझ्या संसाराला हातभार |
९४४ |
गंगेची वाळू चाळ्णीने चाळू |
चलचल -------- आपण सारीपाट खेळू |
९४५ |
नभांगणी दिसे शरदाचे चांदणे |
-------- चे रुप आहे अत्यंत देखणॆ |